एडवोकेट ज्योतिका कालरा ने समानता, सम्मान व समावेशिता पर जोर दिया — संस्थान में सुरक्षित कार्यस्थल सुनिश्चित करने को अहम बताया
सैफई : विश्वविद्यालय परिसर और कार्यस्थल को सुरक्षित, सम्मानपूर्ण और समान अवसरों वाले माहौल में परिवर्तित करने की दिशा में उत्तर प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय, सैफई में लैंगिक संवेदनशीलता पर संवादात्मक सत्र आयोजित किया गया। सत्र का उद्देश्य संकाय सदस्यों, कर्मचारियों और छात्र-छात्राओं में लैंगिक समानता, पारस्परिक सम्मान और समावेशिता के मूल्यों को व्यवहार में मजबूत करना रहा।

सत्र का शुभारंभ कुलपति प्रो. (डॉ.) अजय सिंह और मुख्य अतिथि एडवोकेट ज्योतिका कालरा (एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड, भारत के सर्वोच्च न्यायालय एवं पूर्व सदस्य, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग) द्वारा दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ। इस दौरान यौन उत्पीड़न विरोधी समिति की पीठासीन अधिकारी प्रो. (डॉ.) उषा शुक्ला ने स्वागत संबोधन प्रस्तुत किया।

मुख्य अतिथि एडवोकेट ज्योतिका कालरा ने लैंगिक समानता और कार्यस्थल पर पारस्परिक सम्मान के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि समान अवसर और संवेदनशीलता सामाजिक और संस्थागत प्रगति की मूल शर्तें हैं। उन्होंने उपस्थित सभी को व्यवहारिक रूप से जागरूक रहने और किसी भी अनुचित परिस्थिति में उपलब्ध शिकायत तंत्र का निर्विघ्न उपयोग करने की सलाह दी।

संवाद के उपरांत कुलपति प्रो. (डॉ.) अजय सिंह ने कहा कि विश्वविद्यालय में सुरक्षित और सकारात्मक माहौल को बनाए रखना प्रशासन की प्राथमिकता है। उन्होंने कहा, विश्वविद्यालय में संस्थागत संस्कृति को लैंगिक समानता-संवेदी बनाना हमारा सतत प्रयास है। इसी क्रम में भविष्य में भी इसी विषय पर उपयोगी और जागरूकता बढ़ाने वाले सत्र नियमित रूप से आयोजित किए जाएंगे। इस दौरान कुलपति ने ‘लैंगिक समानता संवेदीकरण समिति’ के गठन की भी घोषणा की, जो चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अमित सिंह एवं प्रो. (डॉ.) उषा शुक्ला के मार्गदर्शन में कार्य करेगी।

कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के सभी संकाय सदस्य, विभिन्न विभागों के कर्मचारी तथा मेडिकल एवं पैरामेडिकल के छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे। सत्र को विश्वविद्यालय परिसर में लैंगिक संवेदनशीलता, सहानुभूति और समानता को मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम माना गया।
