गुरुवार को इटावा व मैनपुरी से -7 मरीज पहुंचे
सैफई : बरसात का मौसम शुरू होते ही गांव और खेतों में सांपों की आवाजाही बढ़ जाती है। उमस भरी गर्मी में किसान और मजदूर सबसे ज्यादा खेतों में जाते हैं, ऐसे में सर्पदंश की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। उत्तर प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय सैफई के इमरजेंसी ट्रॉमा सेंटर में इन दिनों प्रतिदिन दो से चार मरीज सांप के डंसने पर इलाज के लिए पहुंच रहे हैं। बुधवार को तो हालात यह रहे कि इटावा और मैनपुरी जिलों से एक ही दिन सात मरीज सर्पदंश की वजह से ट्रॉमा सेंटर पहुंचे। इनमें इटावा जिले के राजा 28 वर्षीय पुत्र कल्लू सिंह और वंदना 22 वर्षीय पत्नी अविरेंद्र शामिल रही। वहीं मैनपुरी जिले से रोशन 17 वर्षीय पुत्र सौदान सिंह, राकेश 55 वर्षीय पुत्र रघुवीर सिंह और राजेंद्र 35 वर्षीय पुत्र रतीराम सर्पदंश का शिकार होकर भर्ती हुए। सभी मरीजों का ट्रॉमा सेंटर की इमरजेंसी टीम ने समय से इलाज शुरू किया और एंटी स्नेक वेनम देकर उनकी स्थिति को नियंत्रित किया।
ड्यूटी पर तैनात डिप्टी एमएस डॉ. विश्व दीपक, एमओ डॉ. विवेक चौधरी, नर्सिंग ऑफिसर उमेश सिसोदिया और सुखबीर सिंह के साथ पूरी टीम लगातार मरीजों की देखरेख में जुटी रही। डॉ. विश्व दीपक ने बताया कि बरसात के मौसम में यह स्थिति सामान्य है लेकिन खतरा तभी बढ़ता है जब लोग समय पर अस्पताल नहीं पहुंचते। अगर मरीज को तुरंत स्वास्थ्य केंद्र लाकर इलाज शुरू कर दिया जाए तो ज्यादातर मामलों में जान बच जाती है।
मेडिसिन विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सुशील कुमार यादव ने कहा कि बरसात के मौसम में सांप अपने बिलों से निकलकर सूखी जगह की तलाश में घरों और खेतों तक पहुंच जाते हैं। ज्यादातर ग्रामीण क्षेत्रों में लोग अब भी अंधविश्वास और लापरवाही के कारण झाड़-फूंक का सहारा लेते हैं, जिससे मरीज की जान जोखिम में पड़ जाती है। उन्होंने कहा कि सांप के काटने पर सबसे पहले संयम रखें, घबराएं नहीं और पीड़ित को ज्यादा चलने-फिरने न दें। शरीर पर कसाव वाली कोई भी वस्तु तुरंत ढीली कर दें और जितनी जल्दी हो सके पास के स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाएं, जहां एंटी स्नेक वेनम का इंजेक्शन लगाकर इलाज शुरू किया जा सके। उन्होंने यह भी बताया कि सिर्फ चार प्रकार के सांप—कोबरा, करैत, रसल्स वाइपर और सॉ स्केल्ड वाइपर—ही विषैले होते हैं और इनमें कोबरा सबसे घातक है। ऐसे में यदि समय रहते इलाज मिल जाए तो सर्पदंश से जान बचाना संभव है।
चिकित्सा अधीक्षक प्रोफेसर डॉ. एसपी सिंह ने कहा कि विश्वविद्यालय का ट्रॉमा सेंटर और मेडिसिन विभाग सर्पदंश के मरीजों के लिए पूरी तरह तैयार है। आसपास के जिलों से आने वाले मरीजों को भी यहां तत्काल इलाज मिल रहा है। उन्होंने ग्रामीणों से अपील की कि सर्पदंश की स्थिति में देरी न करें और सीधे अस्पताल पहुंचें। विश्वविद्यालय के चिकित्सक और स्टाफ हर वक्त उनकी मदद के लिए उपलब्ध हैं।
