सैफई (इटावा) : उत्तर प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय, सैफई में शुक्रवार को 18वां यूपीटीबीसीसी-कॉन 2025 सम्मेलन का शुभारंभ हुआ। दो दिन चलने वाले इस राष्ट्रीय सम्मेलन में देशभर के नामी श्वसन रोग विशेषज्ञ, शोधकर्ता और छात्र बड़ी संख्या में शामिल हुए। सम्मेलन का उद्घाटन ऑर्गेनाइजिंग चेयरमैन एवं रेस्पिरेट्री मेडिसिन विभागाध्यक्ष प्रो. (डॉ.) आदेश कुमार, यूपीटीबी एसोसिएशन अध्यक्ष व वरिष्ठ टीबी रोग विशेषज्ञ प्रो. (डॉ.) राजेंद्र प्रसाद तथा नौ राज्यों में टीबी मुक्त भारत अभियान के प्रभारी एवं केजीएमयू विभागाध्यक्ष प्रो. (डॉ.) सूर्यकांत त्रिपाठी ने किया।

इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य टीबी और श्वसन रोगों से जुड़ी चुनौतियों, नए इलाज और आधुनिक तकनीकों पर विशेषज्ञों के अनुभव साझा करना है। साथ ही भारत सरकार के लक्ष्य “तक देश को टीबी मुक्त बनाना” को साकार करने के लिए डॉक्टरों, शोधकर्ताओं और नीति-निर्माताओं को एक साझा मंच उपलब्ध कराना है। प्रो. (डॉ.) आदेश कुमार ने कहा कि कुलपति प्रो. (डॉ.) अजय सिंह के मार्गदर्शन में सम्मेलन का आयोजन संभव हो पाया है। पहले दिन आयोजित चार कार्यशालाओं में दवा-प्रतिरोधी टीबी, फेफड़ों की बीमारियों की चुनौतियाँ और जांच व उपचार की नवीन तकनीकों पर विस्तार से चर्चा हुई।

वरिष्ठ टीबी रोग विशेषज्ञ प्रो. (डॉ.) राजेंद्र प्रसाद ने कहा—”आज के समय में टीबी का शत-प्रतिशत इलाज संभव है।” उन्होंने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की नई गाइडलाइन के अनुसार अब टीबी का इलाज पहले की तुलना में कम अवधि (6–9 माह से घटकर लगभग 4 माह) में पूरा किया जा सकेगा। सरकार भी इस दिशा में गंभीरता से काम कर रही है।

केजीएमयू के प्रो. (डॉ.) सूर्यकांत त्रिपाठी ने कहा—”हर चमकती चीज सोना नहीं होती, वैसे ही एक्स-रे में दिखने वाला हर धब्बा टीबी नहीं होता।”उन्होंने कहा कि मरीज की पूरी जांच और पुष्टि के बाद ही इलाज शुरू होना चाहिए। डब्ल्यूएचओ की ग्लोबल रिपोर्ट 2024 के अनुसार भारत में टीबी के मरीजों की संख्या और मृत्यु दर में गिरावट अन्य देशों से दोगुनी गति से हुई है। इस उपलब्धि पर डब्ल्यूएचओ ने भारत की प्रशंसा भी की है। उन्होंने कहा कि भारत 2025 तक टीबी मुक्त होने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है।
सम्मेलन में सह-आयोजन समिति उपाध्यक्ष प्रो. (डॉ.) संतोष कुमार, आयोजन सचिव प्रो. (डॉ.) आदित्य कुमार गौतम, डॉ. आशीष गुप्ता, डॉ. प्रशांत यादव, डॉ. सोमनाथ, डॉ. नम्रता समेत विश्वविद्यालय के सभी संकाय सदस्य उपस्थित रहे।
