उत्तर प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय, सैफई में खुलेआम एमआर की एंट्री, नियमों की धज्जियां उड़ीं –
सैफई समाचार की विशेष पड़ताल
सैफई (इटावा) उत्तर प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय, सैफई का उद्देश्य है गरीब व निम्न आय वर्ग के मरीजों को जेनेरिक दवाओं से इलाज मुहैया कराना। लेकिन सैफई समाचार की विशेष पड़ताल में सामने आया कि यहां की ओपीडी व्यवस्था मरीज हित के बजाय दवा कंपनियों के एजेंटों (एमआर) के लिए खिड़की बन गई है। मरीज घंटों कतार में खड़े होकर डॉक्टर से इलाज की उम्मीद करते हैं, जबकि एमआर आराम से डॉक्टर कक्ष में पहुंचकर ब्रांडेड दवाओं का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं। सरकारी दिशा-निर्देश व नैतिक चिकित्सा के नियमों की खुलेआम अवहेलना हो रही है। मरीजों को जेनेरिक दवाओं की बजाय ब्रांडेड दवाओं की मजबूरी बनी जा रही है।

सैफई समाचार की टीम ने सुबह 10:30 बजे से दोपहर 1:15 बजे तक यूपी आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय के विभिन्न ओपीडी विभागों की विस्तार से पड़ताल की। सबसे पहले टीम 10:40 बजे 500 बेड सुपर स्पेशलिटी अस्पताल की ओपीडी में पहुंची। यहां बड़ी संख्या में मरीज कतार में खड़े थे। मरीजों के बीच दो दर्जन से अधिक मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव खुलेआम खड़े नजर आए। कुछ एमआर सीधे डॉक्टर कक्ष में पर्चा व पम्पलेट थमाते दिखे। कई एमआर मरीजों की कतार में ऐसे बैठे थे, मानो वे खुद मरीज हों, ताकि किसी को रोकने की जहमत न उठानी पड़े।

सबसे चौकाने वाली बात यह रही कि कार्डियोलॉजी डिपार्टमेंट के ओपीडी के सामने मुख्य गेट के दोनों तरफ दो-दो कंपनियों के एमआर पम्पलेट लिए खड़े थे। वे आराम से बातचीत कर रहे थे, जैसे यह स्थान उनके लिए खास तौर पर आरक्षित हो। मरीजों ने बताया कि एमआर का व्यवहार डॉक्टर से अधिक स्वागतपूर्ण होता है, जबकि उन्हें घंटों प्रतीक्षा करनी पड़ती है। इसके अलावा सैफई समाचार की टीम ट्रामा सेंटर के सामने वाली ओपीडी के अन्य विभागों में भी पहुंची। कई जगह आधा दर्जन एमआर लगातार प्रवेश कर डॉक्टरों से मिलते रहे। ग्राउंड फ्लोर पर सुपर स्पेशलिटी ओपीडी में मानसिक रोग विभाग के बाहर भी एमआर लगातार नजर आए। टीम ने इन सब गतिविधियों की फोटो व वीडिओ भी अपने कमरे में कैद की हैं।

उत्तर प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय की ओपीडी व्यवस्था सुबह 8 बजे से दोपहर 2 बजे तक संचालित होती है। प्रतिदिन करीब तीन से चार हजार मरीज इटावा, मैनपुरी, एटा, फर्रुखाबाद, कन्नौज, फिरोजाबाद सहित आसपास के जिलों से इलाज के लिए आते हैं। इनमें से अधिकतर गरीब व निम्न आय वर्ग के हैं, जो जेनेरिक दवाओं के भरोसे सरकारी इलाज के लिए आते हैं।

250 से अधिक पूर्व सैनिक सुरक्षाकर्मी उत्तर प्रदेश पूर्व सैनिक कल्याण निगम के माध्यम से विश्वविद्यालय परिसर में तैनात हैं, लेकिन बावजूद इसके एमआर बिना किसी रोक-टोक के डॉक्टर कक्ष में प्रवेश कर पाते हैं। प्रवेश द्वार पर न तो जांच होती है और न ही कोई रोकथाम।

यूपी आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय की सरकारी फार्मेसी मौजूद है, लेकिन डॉक्टर कई बार ब्रांडेड दवाएं पर्ची पर लिख देते हैं। कई मरीजों ने बताया कि अस्पताल की फार्मेसी में दवा उपलब्ध नहीं थी, जिससे उन्हें निजी फार्मेसी से महंगी दवा खरीदनी पड़ी। एक मरीज ने कहा,“सरकारी अस्पताल में इलाज के लिए आया था, लेकिन डॉक्टर ने जो दवा लिखी, वह अस्पताल फार्मेसी में नहीं मिली। मजबूरी में बाहर जाकर तीन-चार गुना महंगी दवा खरीदनी पड़ी।”

—
उत्तर प्रदेश सरकार व राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग की स्पष्ट गाइडलाइन
सरकारी अस्पताल में मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव (एमआर) को ओपीडी में डॉक्टर से मिलने की सख्त मनाही।
डॉक्टर को केवल जेनेरिक दवाएं प्रिस्क्राइब करनी अनिवार्य।
जेनेरिक दवाएं अस्पताल की सरकारी फार्मेसी से उपलब्ध कराना अनिवार्य।
एमआर के पास प्रवेश हेतु कोई भी पास या अनुमति पत्र मान्य नहीं।
एमआर का डॉक्टर से व्यक्तिगत रूप से मिलना अनुशासनहीनता व नियमों का स्पष्ट उल्लंघन।
—
स्थानीय लोगों के बयान
रामफल वाल्मीकि, प्रधान सैफई
नेताजी मुलायम सिंह यादव का सपना था कि सैफई में गरीब मरीजों को ₹1 में पर्ची पर इलाज व दवा मिले। लेकिन आज डॉक्टर ब्रांडेड दवा लिखते हैं, मरीजों को बाहर से महंगी दवा खरीदनी पड़ती है। एमआर डॉक्टर कक्ष में खुलकर घूम रहे हैं। प्रशासन को तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए।
रामसनेही निवासी कहते- यहां मरीज सुबह से कतार में लगे रहते हैं, जबकि एमआर बिना रोक-टोक डॉक्टर से मिलते हैं। सरकारी सिस्टम में यह अनुशासनहीनता है। गरीब मरीजों का सहारा बनने वाला अस्पताल आज उनके लिए परेशानी बन गया है।”
———
“हमने अपने पहले 100 दिन के एजेंडे में सबसे पहले अमृत फार्मेसी और जन औषधि केंद्र खोलने का निर्णय लिया है। इसका उद्देश्य है कि जेनेरिक दवाएं सभी मरीजों को सस्ते व आसानी से उपलब्ध हो सकें। हमारा मुख्य फोकस गरीब व निम्न आय वर्ग के मरीजों को बेहतर इलाज मुहैया कराना है, ताकि उन्हें महंगी ब्रांडेड दवाओं पर निर्भर न रहना पड़े।
इसके साथ ही, मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव (एमआर) के डॉक्टर कक्ष में अनियंत्रित प्रवेश पर पूरी तरह रोक लगाई जाएगी। हम कड़ी निगरानी व्यवस्था लागू करेंगे, ताकि केवल मरीज और स्टाफ ही डॉक्टर से मिल सकें। हम पूरी निष्ठा व प्रतिबद्धता के साथ यह सुनिश्चित करेंगे कि उत्तर प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय, में चिकित्सा व्यवस्था पूरी तरह पारदर्शी व मरीज-केंद्रित बने। यह चुनौती हमारे लिए एक अवसर है, और हम इसे सफलतापूर्वक पूरा करेंगे।”
–प्रोफेसर डॉक्टर अजय सिंह कुलपति,
