सैफई : लगातार बारिश और मौसम में नमी बढ़ने से कान के फंगल संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। उत्तर प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय, सैफई के ईएनटी विभाग की ओपीडी में रोजाना 200 से 300 मरीज पहुंच रहे हैं। मंगलवार को 250 से अधिक मरीजों ने परामर्श लिया, जिनमें बड़ी संख्या में महिलाए, बच्चे और युवा शामिल रहे। अधिकांश मरीजों में कान दर्द, खुजली, पानी आना और कान बंद होने जैसी शिकायतें पाई गईं।

ईएनटी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. तेजस्वी गुप्ता ने बताया कि बरसात के मौसम में फंगल इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। नमी और गंदे पानी के संपर्क से संक्रमण फैलता है, लेकिन लोग अक्सर खुद से इलाज करते हुए कान में तेल डाल लेते हैं, जिससे स्थिति और बिगड़ जाती है। समय पर इलाज न कराने और साफ-सफाई में लापरवाही बरतने पर फंगल इंफेक्शन बढ़कर कान के पर्दे तक नुकसान पहुंचा सकता है और छेद होने का जोखिम भी बढ़ जाता है। डॉ. गुप्ता के अनुसार, संक्रमण के सामान्य लक्षणों में कान में दर्द, खुजली, कान बंद लगना और पानी या मवाद आना शामिल है। ऐसे लक्षण दिखें तो खुद से दवा या घरेलू नुस्खे अपनाने के बजाय तुरंत विशेषज्ञ चिकित्सक से मिलना चाहिए

उन्होंने बताया कि इन दिनों नाक से जुड़ी बीमारियों के मरीज भी बढ़े हैं। नाक में बढ़े हुए मांस के कई मामलों का दूरबीन विधि से सफल ऑपरेशन किया जा रहा है। विश्वविद्यालय में बलून सिनुप्लास्टी जैसी उन्नत तकनीक से साइनस संबंधी जटिल समस्याओं का उपचार भी किया जा रहा है। बदलते मौसम में एलर्जी की शिकायतें—लगातार छींक आना, नाक बहना, आंखों में पानी—भी अधिक दिख रही हैं। समय रहते ध्यान न देने पर यही समस्या आगे चलकर एलर्जी दमा का रूप ले सकती है, इसलिए शुरुआती लक्षणों पर ही जांच और उपचार जरूरी है। छोटे बच्चों में भी ऐसे मामलों की संख्या बढ़ रही है, जिनमें अभिभावकों की सतर्कता सबसे अहम है।
डॉ. गुप्ता ने सलाह दी कि कान में गंदा पानी जाने से बचें; स्विमिंग पूल में जाने से पहले इयर प्लग का उपयोग करें; तालाब या पोखरे में स्नान से परहेज करें; सबसे महत्वपूर्ण—कान में तेल न डालें और न ही स्वयं कान की सफाई करें। किसी भी प्रकार की परेशानी होने पर लापरवाही न करें और तुरंत ईएनटी विशेषज्ञ से संपर्क कर चिकित्सकीय परामर्श लें। उन्होंने कहा कि बरसात के मौसम में थोड़ी सी सावधानी और समय पर उपचार से गंभीर जटिलताओं से बचाव संभव है।
