सैफई (इटावा) : उत्तर प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय, सैफई के नए कुलपति प्रोफेसर (डॉ.) अजय सिंह ने पदभार संभालने के बाद सोमवार को पहली बार मीडिया से संवाद करते हुए विश्वविद्यालय के विकास और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार का रोडमैप पेश किया।

प्रशासनिक भवन स्थित ईसी हॉल में आयोजित प्रेस वार्ता में उन्होंने कहा कि लक्ष्य है कि विश्वविद्यालय को न केवल प्रदेश बल्कि देश में उत्कृष्ट चिकित्सा सेवाओं और मेडिकल शिक्षा का केंद्र बनाया जाए। उन्होंने मीडिया को जनसमस्याओं से अवगत कराने और समाधान में सहयोग देने का आग्रह किया। कुलपति ने बताया कि हाल ही में मुख्यमंत्री से भेंट कर उन्होंने 100 दिनों का एजेंडा प्रस्तुत किया है, जिसमें मरीजों को गुणवत्तापूर्ण व सस्ती दवाएं उपलब्ध कराना, पंजीकरण व इलाज की प्रक्रिया को आसान बनाना, ओपीडी व इमरजेंसी में डॉक्टरों की उपस्थिति सुनिश्चित करना और मेडिकल शिक्षा में उच्च मानक स्थापित करना प्रमुख लक्ष्य हैं। उन्होंने कहा, “हमारा प्रयास है कि मरीजों को 24 घंटे दवा मिले, उन्हें बाहर जाने की जरूरत न पड़े और इलाज में अनावश्यक देरी न हो।

उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय केवल उपचार तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि रोगों की रोकथाम पर भी काम करेगा। चयनित गांवों व स्कूलों में स्वास्थ्य जांच की जिम्मेदारी विश्वविद्यालय उठाएगा, खासकर टीबी मरीजों का पूर्ण उपचार कराएगा। मानसिक स्वास्थ्य पर भी विशेष पहल की जाएगी। अवसंरचना विकास के तहत कुलपति ने बताया कि 5 एकड़ भूमि पर नया डेंटल कॉलेज खोलने का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है। इसके अलावा मल्टी-लेवल पार्किंग, उन्नत आईवीएफ सेंटर, 500 बेड का सुपर स्पेशलिटी आईपीडी अगले छह माह में और 300 बेडेड स्त्रीरोग अस्पताल शीघ्र शुरू करने की योजना है। मरीजों की सुविधा के लिए अमृत फार्मेसी, जन औषधि केंद्र और आयुष्मान कार्ड हेतु अलग काउंटर स्थापित किए जाएंगे। 70 वर्ष से अधिक उम्र के सभी मरीजों को आयुष्मान कार्ड उपलब्ध कराने की व्यवस्था होगी।

कुलपति ने ‘रोगी कल्याण समिति’ के गठन की भी घोषणा की, जिसके तहत विश्वविद्यालय की आय का एक हिस्सा गरीब मरीजों के नि:शुल्क इलाज पर खर्च होगा।
दैनिक जागरण के सवालों पर लिफ्ट ऑपरेटरों की कमी को गंभीर मुद्दा मानते हुए उन्होंने कहा कि इसे प्राथमिकता पर दूर किया जाएगा। प्राइवेट प्रैक्टिस पर सख्ती बरतते हुए उन्होंने चेतावनी दी कि शिकायत और सबूत मिलने पर तत्काल कार्रवाई होगी। कर्मचारियों से जुड़े मुद्दों पर कहा कि सभी संगठनों से लिखित सुझाव लेकर सुधारात्मक कदम उठाए जा रहे हैं। 60 वर्ष से अधिक आयु के संकाय सदस्यों के कार्यरत होने के प्रश्न पर उन्होंने कहा कि मामले की जानकारी लेकर निर्णय लिया जाएगा।

मृत्यु दर से जुड़े सवाल पर उन्होंने कहा कि “अंतिम अवस्था के मरीज रेफर होकर आते हैं, जिससे आंकड़े बढ़ते हैं, लेकिन हमारा प्रयास रहेगा कि हर मरीज को सर्वोत्तम इलाज मिले।” कुलपति ने अंत में कहा, “मेरी प्राथमिकता है कि मरीजों को समय पर, सस्ती और गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा सेवा मिले, मेडिकल शिक्षा का स्तर ऊंचा उठे और विश्वविद्यालय का नाम अग्रणी संस्थानों में शामिल हो।”
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15 दिनों की प्रमुख उपलब्धियां –
13 अगस्त: जेरियाट्रिक ओपीडी शुरू – वरिष्ठ नागरिकों के लिए समर्पित सुविधा।
18 अगस्त: सुपर स्पेशलिटी पीडियाट्रिक ऑर्थोपेडिक ओपीडी शुरू – बच्चों की अस्थि संबंधी बीमारियों का इलाज।
22 अगस्त: स्पोर्ट्स क्लिनिक ओपीडी शुरू – खिलाड़ियों और फिटनेस प्रेमियों के लिए विशेष उपचार।
एंटी-रैगिंग अभियान: कैंपस में जागरूकता व कड़ी निगरानी की शुरुआत।
स्वास्थ्य सेवाओं की निगरानी: कुलपति ने IPD, OPD, डायग्नोस्टिक इकाइयों का निरीक्षण कर सुधार के निर्देश दिए।
