शिक्षा, संस्कार और देशभक्ति का संगम—आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को मिलेगी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा
सैफई, 15 अगस्त। स्वतंत्रता दिवस का पावन पर्व इस बार सैफई के लिए ऐतिहासिक बन गया। राष्ट्रीय समाजसेवी परिषद (IMO) के प्रमुख डॉ. नीरज यादव के निर्देश पर मंगलवार को यहां किसान बाजार घंटाघर के नीचे स्थित स्थल पर डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम निःशुल्क पाठशाला का शुभारंभ हुआ। यह केवल एक उद्घाटन कार्यक्रम नहीं, बल्कि शिक्षा, संस्कार और देशभक्ति के संदेश के साथ समाज में नई रोशनी फैलाने का संकल्प था।कार्यक्रम की शुरुआत राष्ट्रध्वज फहराकर और स्वतंत्रता संग्राम के वीर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित कर हुई। इसके बाद बच्चों ने उत्साह और आत्मविश्वास से भरे देशभक्ति गीत, कविताएं और सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दीं। नन्हे कलाकारों की मासूम मुस्कान और चमकती आंखें देख हर कोई भावुक हो उठा।
शुभारंभ समारोह में उत्तर प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय, सैफई के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी डॉ. कुलभूषण अग्रवाल, डॉ. अरुण कुमार राजपूत, जनसूचना अधिकारी डॉ. ए. एन. जे. हैदर, डॉ. के. वी. रंजीत सिंह चौधरी, डॉ. राहुल कुमार चक, विजय शाक्य, यदुवीर सिंह यादव (एडवोकेट), प्रीति बघेला (सहायक अध्यापिका, बेसिक), अमित यादव, साहिल सोनकर, दीपक सिंह, आरची जायसवाल, सचिन यादव, अलका यादव, आकांक्षा त्रिपाठी, जाह्नवी शुक्ला, अंजलि यादव, होना फातिमा, शिवम् मौर्य, सुप्रिया, सुरजीत, फरहान, एजाज, फ़िदिल्म रसीद, समीरा खाना, प्रकृति सिंह, स्नेहा चौधरी, ललित सैनी, सभी शिक्षकगण और सुरक्षा अधिकारी रूपेश कुमार मौजूद रहे।
इन सभी गणमान्य व्यक्तियों ने बच्चों को आशीर्वाद देते हुए कहा कि शिक्षा ही वह शक्ति है जो गरीबी, अज्ञानता और पिछड़ेपन की बेड़ियां तोड़ सकती है।
इस निःशुल्क पाठशाला का उद्देश्य आर्थिक रूप से कमजोर और वंचित वर्ग के बच्चों को न केवल गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देना है, बल्कि उन्हें संस्कार, नैतिक मूल्यों और राष्ट्रप्रेम की भावना से भी जोड़ना है। यहां शिक्षा किताबों तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि बच्चों के व्यक्तित्व विकास और सामाजिक जिम्मेदारी पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
राष्ट्रीय समाजसेवी परिषद के राष्ट्रीय महासचिव डॉ. विजय किशोर चक्रवर्ती ने कहा, “आज हम स्वतंत्रता दिवस पर डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम के उस सपने को साकार करने की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं, जिसमें वे मानते थे कि देश का भविष्य कक्षा में आकार लेता है। यह पाठशाला उसी दिशा में हमारा प्रयास है।”
कार्यक्रम के अंत में परिषद ने समाज के हर वर्ग से इस शिक्षा मिशन में सहयोग की अपील की, ताकि कोई भी बच्चा केवल आर्थिक तंगी के कारण शिक्षा से वंचित न रह जाए।
स्वतंत्रता दिवस पर सैकड़ों लोगों की उपस्थिति, बच्चों की मासूम मुस्कान और अतिथियों का आशीर्वाद इस ऐतिहासिक पहल को अविस्मरणीय बना गया। किसान बाजार घंटाघर के नीचे संचालित होने वाली यह पाठशाला आने वाले वर्षों में अनगिनत जीवनों को रोशन करेगी और डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम के “शिक्षित भारत” के सपने को साकार करने में अहम भूमिका निभाएगी।
