बाल एवं शिशु रोग विभाग की ओपीडी में 250 से अधिक छोटे मरीज पहुंचे, 20 से 25 को भर्ती कर उपचार
सैफई : नवंबर की ठंड की शुरुआत के साथ ही बच्चों में सर्दी-खांसी और सांस संबंधी समस्याओं के मामले तेज़ी से बढ़े हैं। इस मौसम में बच्चों को ठंड और संक्रमण से विशेष रूप से बचाना आवश्यक है। यह कहना है उत्तर प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय, सैफई के बाल एवं शिशु रोग विभाग में परामर्श दे रहे
डॉ दुष्यंत रस्तोगी असिस्टेंट प्रोफेसर का। उन्होंने बताया कि मंगलवार को विभाग की ओपीडी में 250 से अधिक बच्चों को परामर्श दिया गया, जिनमें कई बच्चे तेज बुखार, गले में खराश, खांसी और सांस फूलने की शिकायत के साथ पहुंचे। डॉक्टरों के अनुसार एक से चार वर्ष आयु के बच्चों में यह समस्या अधिक देखी जा रही है। संक्रमण के कारण बच्चों में भूख कम होना, दूध न पीना, सुस्ती, तेज सांस चलना और सीने से आवाज जैसी स्थितियां विकसित हो रहीं हैं। गंभीर लक्षण होने पर बच्चों को अस्पताल लाना अत्यंत आवश्यक है। विभाग में प्रतिदिन 20 से 25 बच्चों को भर्ती कर उपचार किया जा रहा है। संक्रमण से बचाव जरूरी डॉ. दुष्यंत ने कहा कि यदि घर में किसी सदस्य को सर्दी-जुकाम या वायरल संक्रमण है, तो मास्क पहनें और बच्चे से दूरी बनाए रखें, ताकि संक्रमण न फैले। उन्होंने कहा कि बदलते मौसम के दौरान बच्चों की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है, जिससे संक्रमण तेजी से पकड़ लेता है।
बिना परामर्श दवा देने से बीमारी बढ़ सकती है उन्होंने चेतावनी दी कि बच्चों को बिना डॉक्टर की सलाह के कोई भी सिरप या एंटीबायोटिक न दें। गलत दवा बीमारी को कुछ समय के लिए दबा जरूर देती है, लेकिन बाद में यह गंभीर रूप ले सकती है। छोटे बच्चों में यह जोखिम कई गुना अधिक होता है।
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-कब तुरंत अस्पताल ले जाएं-
तेज सांस चल रही हो
बच्चा दूध/खाना न ले रहा हो
सीने से घरघराहट या सीटी जैसी आवाज आए
बच्चा अत्यधिक सुस्त हो जाए
इनमें से कोई भी लक्षण दिखे तो तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें।
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-अभिभावकों के लिए जरूरी सावधानियां-
-बच्चों को मौसम के अनुसार गरम कपड़े पहनाएं
-रात में सोते समय छाती और पैर अच्छी तरह ढकें
-पानी गुनगुना दें और भोजन हल्का रखें
-खांसी-जुकाम की स्थिति में भाप देना लाभदायक
-स्कूल जाने वाले बच्चों को हाथ धोने की आदत कराएं
