सैफई (इटावा): उत्तर प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय, सैफई में अब हड्डी और जोड़ संबंधी जटिल बीमारियों के उपचार के लिए गाँव और क्षेत्र के मरीजों को शहर जैसी विशेषज्ञीय सुविधाएँ उपलब्ध करवाई जा रही हैं। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर डॉ. अजय सिंह ने आमजन से अपील की है कि वे अनावश्यक रूप से महानगरों का रुख न करें, बल्कि समय पर विश्वविद्यालय की विशेषज्ञ सेवाओं का लाभ उठाएं। कुलपति ने बताया कि विश्वविद्यालय के ऑर्थोपेडिक्स विभाग में आधुनिक तकनीक और अनुभवी डॉक्टरों की टीम हर तरह के जटिल ऑपरेशन और इलाज सफलतापूर्वक कर रही है। उनका उद्देश्य केवल इलाज देना नहीं, बल्कि मरीजों में जागरूकता लाना भी है, ताकि लोग समय पर सही जगह पहुँचकर अपने जीवन की गुणवत्ता सुधार सकें। ऑर्थोपेडिक्स विभाग में हड्डियों की कमजोरी, फ्रैक्चर, जोड़ और रीढ़ की बीमारियों के साथ-साथ खेलों से जुड़ी चोटों का इलाज अत्याधुनिक तकनीक से किया जा रहा है।

विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. सुनील कुमार ने बताया कि विभाग में हड्डियों में कैल्शियम की कमी की जांच के लिए विशेष मशीन उपलब्ध है, जिससे वृद्धावस्था में फ्रैक्चर के जोखिम का पता लगाया जा सकता है। साथ ही, रीढ़ और जोड़ों के जटिल ऑपरेशन नियमित रूप से किए जा रहे हैं।
विशेष रूप से आयुष्मान भारत – प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत निशुल्क ऑपरेशन किए जा रहे हैं, जिससे अब तक सैकड़ों मरीजों को लाभ मिल चुका है। उन मरीजों के लिए यह एक नई उम्मीद है, जिन्हें पहले जोड़ प्रत्यारोपण (Joint Replacement) की सुविधा भारी खर्च के कारण नहीं मिल पा रही थी। अब सैफई संस्थान में घुटने, कुल्हे और अन्य जोड़ों के प्रत्यारोपण निशुल्क किए जा रहे हैं, जिससे मरीजों को जीवन में नई गतिशीलता और राहत मिल रही है।
साथ ही, विश्वविद्यालय में पहली बार फेलो नेशनल बोर्ड (FNB) के अंतर्गत जोड़ प्रत्यारोपण विषय में फेलोशिप कोर्स प्रारंभ किया जा रहा है। हड्डी एवं जोड़ रोग विभाग ने इस कोर्स की पहल कर विश्वविद्यालय को सुपर स्पेशियलिटी प्रशिक्षण के नए युग की ओर अग्रसर किया है। कुलपति डॉ. अजय सिंह के दूरदर्शी नेतृत्व में यह कदम चिकित्सा शिक्षा और अनुसंधान के क्षेत्र में नई ऊँचाइयों को छू रहा है।
स्पोर्ट्स इंजरी और नवजात शिशुओं में जन्मजात हड्डी विकृति के इलाज के लिए विशेष ओपीडी भी संचालित है। यहाँ एक ही छत के नीचे फिजियोथैरेपी, पुनर्वास चिकित्सा (पीएमआर), न्यूरोलॉजी और मानसिक स्वास्थ्य विभाग की संयुक्त सेवाएँ प्रदान की जा रही हैं, जिससे मरीज को सम्पूर्ण देखभाल मिलती है।
विभाग में प्रतिदिन औसतन 10 से 12 ऑपरेशन किए जाते हैं। ऑपरेशन थिएटर छह दिन नियमित रूप से चलता है, जबकि ट्रॉमा सेंटर में 24 घंटे आपातकालीन सर्जरी की सुविधा उपलब्ध है। वर्तमान में विभाग में लगभग 100 से 150 मरीज लगातार भर्ती रहते हैं। अन्य विभागों में भर्ती मरीजों को ऑर्थोपेडिक परामर्श की आवश्यकता होने पर विभाग की टीम तुरंत देखभाल करती है। पहले जहां ऑपरेशन की प्रतीक्षा लंबी रहती थी, अब दो से तीन दिन के भीतर ही ऑपरेशन संभव है।
डॉ. सुनील कुमार ने कहा कि ऑपरेशन में प्रयुक्त होने वाले इम्प्लांट की व्यवस्था पूरी तरह पारदर्शी है। बिल सीधे संस्थान के माध्यम से कटता है और सामग्री सीधे विश्वविद्यालय तक पहुँचती है, जिससे मरीजों पर अतिरिक्त खर्च या असुविधा नहीं होती। विभाग का लक्ष्य सामान्य बीमारियों का इलाज नहीं, बल्कि कठिन और जटिल मामलों में राहत देना है।
कुलपति डॉ. अजय सिंह ने कहा,हम चाहते हैं कि ग्रामीण क्षेत्र का हर मरीज यह समझे कि अब शहर जाने की जरूरत नहीं है। सैफई में ही सभी आधुनिक सुविधाएं, विशेषज्ञ चिकित्सक और जटिल ऑपरेशन की तकनीक उपलब्ध हैं। जरूरत सिर्फ जागरूक होने और समय पर पहुंचने की है।
