सैफई (इटावा) : उत्तर प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय, सैफई के अस्थि रोग विभाग द्वारा बुज़ुर्गों की हड्डी और जोड़ संबंधी बीमारियों को लेकर 3 से 10 अगस्त तक ‘हड्डी एवं जोड़ सप्ताह’ के अंतर्गत जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। भारतीय अस्थि संघ की अपील पर आयोजित इस अभियान का उद्देश्य वरिष्ठ नागरिकों में हड्डियों की कमजोरी, जोड़ों की जकड़न और गिरने जैसी घटनाओं की रोकथाम के लिए उन्हें समय रहते जानकारी और परामर्श देना है।

अभियान की शुरुआत 4 अगस्त की सुबह विश्वविद्यालय परिसर में आयोजित विशेष रैली के साथ हुई, जिसे कुलपति प्रो. डॉ. पी.के. जैन ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। यह रैली प्रशासनिक भवन से प्रारंभ होकर ट्रॉमा सेंटर द्वार तक निकाली गई, जिसमें अस्थि रोग विभाग सहित चिकित्सा संकाय के शिक्षक, चिकित्सक, रेजीडेंट डॉक्टर और छात्र-छात्राओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। रैली के दौरान प्रतिभागियों ने बुज़ुर्गों की हड्डियों की देखभाल, गिरने से बचाव, संतुलित आहार और नियमित व्यायाम जैसे संदेशों से संबंधित नारे लगाए और पर्चे वितरित किए। साथ ही, विश्वविद्यालय की ओपीडी और आपातकालीन विभाग में डिजिटल स्क्रीन के माध्यम से बुज़ुर्गों को जागरूक करने वाले वीडियो संदेश भी प्रसारित किए जा रहे हैं। इन संदेशों को सोशल मीडिया पर भी प्रसारित कर व्यापक जन-जागरूकता का प्रयास किया जा रहा है।

विशेष बात यह रही कि हड्डी एवं जोड़ सप्ताह के अंतर्गत विश्वविद्यालय की ओपीडी में बुज़ुर्ग मरीजों के लिए अलग से विशेष शिविर की व्यवस्था की गई है, जहां अस्थि रोग विशेषज्ञ निःशुल्क परामर्श और आवश्यक उपचार प्रदान कर रहे हैं। यह शिविर पूरे सप्ताह संचालित रहेगा, जिससे दूर-दराज़ से आने वाले बुज़ुर्गों को लाभ मिल रहा है।
5 अगस्त को आयोजित जागरूकता शिविर में विभागाध्यक्ष व आयोजन अध्यक्ष प्रो. डॉ. सुनील कुमार ने ‘बोन एंड जॉइंट वीक’ का महत्व बताते हुए कहा कि भारतीय अस्थि संघ प्रत्येक वर्ष एक विशेष विषयवस्तु निर्धारित करता है। इस वर्ष का थीम है — “ओल्ड इज़ गोल्ड : 360 डिग्री केयर फॉर एल्डरली – मोबिलिटी, डिग्निटी और लॉन्गेविटी”। उन्होंने कहा कि घर को बुज़ुर्गों के अनुकूल बनाना, उनके साथ संवाद बनाए रखना और गिरने की घटनाओं को रोकना उनके आत्मसम्मान और स्वतंत्र जीवन के लिए आवश्यक है।
आयोजन सचिव प्रो. डॉ. हरीश कुमार ने बुज़ुर्गों की हड्डियों की मजबूती में संतुलित आहार और फिजियोथेरेपी की भूमिका को महत्वपूर्ण बताया। सहायक प्रोफेसर डॉ. राजीव कुमार ने आंखों और कान की नियमित जांच को आवश्यक बताया ताकि संतुलन संबंधी समस्याएं समय रहते पकड़ी जा सकें। वहीं, डॉ. ऋषभ अग्रवाल ने बुज़ुर्गों को नियमित स्वास्थ्य परीक्षण और दवाओं की समीक्षा कराने की सलाह दी।

यह कार्यक्रम 10 अगस्त तक विभिन्न गतिविधियों के साथ जारी रहेगा। 6 अगस्त को ट्रॉमा सेंटर स्थित सेमिनार हॉल में बोन एंड जॉइंट वीक पर आधारित एक वैज्ञानिक संगोष्ठी आयोजित की जाएगी, जिसका उद्घाटन कुलपति प्रो. (डॉ.) अजय सिंह करेंगे। विश्वविद्यालय प्रशासन का मानना है कि यह अभियान बुज़ुर्गों की गतिशीलता, गरिमा और दीर्घायु जीवन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।
